शनिवार, 9 अप्रैल 2022

Shayri 105 (IRFAN)


















अजीब सा इत्तेफ़ाक़ होते देखा है,
ज़िंदगी पे ज़िंदगी को गुज़रते देखा है,
वैसे तो कितने ही मरते है रोज़,
आज माँ के गम में बेटे को मरते  देखा है!!

कुदरत ने भी अजीब खेल खेला है,
जो जिन्दा था, तो तरस गए थे एक मुलाक़ात को,
आज  मरके सामने लेटा हू,
तो डर रहे हो छूने को!!

मेरे होने न होने की परवाह नहीं मुझको,
बस मेरा काम ज़िंदा रहना चाहिए,
चाहे अच्छा चाहे बुरा सही,
सबके होठो पर मेरा नाम रहना चाहिए!!
 
मै तो कलाकार था, अपनी कला दिखने आता था,
हर बार कुछ नया कर दिखाऊ,
बस यही सोच परदे पर आता था!!

आज नहीं हु, तुम मुझे याद करोगे,
और कितने दिन मेरी फरियाद करोगे,
क्या पता था एक दिन ऐसा भी आएगा,
हमसे मिले बिना ही अलविदा कहोगे !!  


Best Wishes
Naval Kishore












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